Tuesday, April 22, 2025
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चौधरी साहब को देकर भारत रत्न, भाजपा का पूरा हुआ प्रयत्न

– यूपी में अटकलों का दौर खत्म, भाजपा के साथ जाएंगे जयंत !
– समाजवादी पार्टी ने भी मान लिया जयंत गठबंधन से हो रहे हैं अलग


अनुज मित्तल (समाचार संपादक)

मेरठ। लोकसभा चुनाव को लेकर इस वक्त जबरदस्त उठापटक का दौर चल रहा है। भाजपा का संगठनात्मक नेतृत्व और केंद्र सरकार मिलकर चुनाव से पहले ही विपक्ष को कमजोर करने में जुटे हुए हैं। यूपी में भी इस कवायद के चलते बड़ा उलटफेर लगभग हो चुका है। शुक्रवार को पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह को भारत रत्न का ऐलान इसी से जोड़कर देखा जा रहा है।

आईएनडीआईए गठबंधन में लगातार फूट पड़ रही है। यूपी में कांग्रेस, सपा और रालोद गठबंधन की अहम कड़ी थी। इनमें रालोद का असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादा है। रालोद का साथ पाकर कोई भी दल अपने सियासी समीकरण को बना सकता है। पिछले लोकसभा और विधानसभा चुनाव में यह साफ नजर आया। हालांकि लोकसभा चुनाव की अगर बात करें तो पिछले चुनाव में रालोद अपने लिए कुछ नहीं कर पाया, लेकिन उसके बल पर सपा और बसपा को फायदा जरूर मिला।

लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है। क्योंकि एक तरफ किसान संगठनों की नाराजगी चरम पर है और इन किसान संगठनों से जुड़े नेता और कार्यकर्ता ज्यादातर रालोद समर्थित हैं। ऐसे में गठबंधन भाजपा पर कई सीटों पर भारी पड़ सकता था। इसकी काट निकालने के लिए भाजपा के नेता लगातार रालोद को गठबंधन से बाहर लाकर अपने साथ जोड़ने की कवायद में लगे थे। लेकिन बात नहीं बन पा रही थी।

इस बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव और उनके सलाहकारों ने सीटों के बंटवारे को लेकर ऐसा अडियल रवैया दिखाया कि रालोद मुखिया चौ. जयंत सिंह नाराज हो गए। जिसके चलते एक बार फिर से भाजपा खेमा रालोद नेताओं से संपर्क साधने में जुट गया। इस बार बात आगे बढ़ी और सीटों के बंटवारे से लेकर अन्य मुद्दों भी बात सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ी।

भाजपा सूत्रों के अनुसार जयंत चौधरी की सीटों के बंटवारे के साथ ही मुख्य मांग अपने दादा पूर्व प्रधानमंत्री चौ. चरण सिंह को भारत रत्न दिलाने की थी। इस पर प्रधानमंत्री की तरफ से ग्रीन सिग्नल मिलते ही बात अंतिम दौर में पहुंच गई। शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चौ. चरण सिंह को भारत रत्न देने का ऐलान कर दिया। इसके बाद चौ. जयंत सिंह की जो प्रतिक्रिया आई, वह भी भविष्य की पटकथा बता रही है। चौ. जयंत ने लिखा कि दिल जीत लिया…।

यही नहीं अब समाजवादी पार्टी के नेता भी स्वीकार कर चुके हैं, कि उनका और रालोद का साथ समाप्त हो चुका है। जिसकी औपचारिक घोषणा कभी भी हो सकती है। क्योंकि सपा के वरिष्ठ नेता प्रो. रामगोपाल यादव ने भी चौ. जयंत को लेकर कह दिया कि चुनाव का समय है ऐसे में कोई कहां जाता है या आता है, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। जनता सब समझती है।

इन शर्तों पर बनी गठबंधन की बात

भाजपा और रालोद सूत्रों के अनुसार समाजवादी पार्टी ने सात सीट देने की बात कही थी, लेकिन इसमें भी तीन सीटों पर प्रत्याशी अपने और चुनाव चिन्ह रालोद का देने को कहा था। जिस पर रालोद नेतृत्व सहमत नहीं था। अब भाजपा के साथ लोकसभा में तो मात्र दो ही सीट रालोद को दी जाएंगी। लेकिन इसके अलावा एक राज्यसभा और एक एमएलसी देने के साथ यूपी सरकार के मंत्रीमंडल में भी रालोद विधायकों को प्रतिनिधित्व देने का आश्वासन दिया गया है।

बागपत के साथ बिजनौर

भाजपा रालोद को उसकी पुश्तैनी सीट बागपत को देने के साथ ही बिजनौर पर सहमति जता चुकी है। 2009 में भी भाजपा और रालोद के गठबंधन में बिजनौर सीट पर रालोद प्रत्याशी संजय चौहान जीते थे। इस समय बिजनौर सीट पर बसपा के मलूक नागर सांसद हैं।

अभी मथुरा सीट पर चल रही बात

रालोद का दावा मुजफ्फरनगर और मथुरा सीट पर भी था। लेकिन भाजपा ने मुजफ्फरनगर सीट देने से साफ इंकार कर दिया। हालांकि मथुरा पर मामला अभी विचाराधीन बताया जा रहा है। लेकिन सूत्रों की मानें तो भाजपा और रालोद का गठबंधन लगभग तय हो चुका है। इसका एक बड़ा कारण चुनाव के बाद यदि भाजपा की सरकार बनती है तो उसमें भी रालोद का प्रतिनिधित्व तय रहेगा।

 

 

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