छात्रों को मिलेगा अंतरराष्ट्रीय स्तर का लाभ, इन समझौतों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच शिक्षा, शोध और सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देना।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला के नेतृत्व में उच्च स्तरीय शैक्षणिक प्रतिनिधिमंडल ने वियतनाम की प्रमुख पब्लिक फंडीड विश्वविद्यालयों के साथ शैक्षणिक सहयोग हेतु समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।
वियतनाम की दो प्रमुख संस्थाओं नोंग लाम यूनिवर्सिटी और होची मिन्ह सिटी ओपन यूनिवर्सिटी के साथ दो अलग-अलग समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इन समझौतों का उद्देश्य दोनों देशों के बीच शिक्षा, शोध और सांस्कृतिक समृद्धि को बढ़ावा देना है।
यह सहयोग दोनों देशों के बीच उच्च शिक्षा, अनुसंधान, नवाचार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने की दिशा में ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। इस समझौते के तहत दोनों विश्वविद्यालयों ने फूड साइंस, बायोटेक्नोलॉजी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, स्मार्ट एग्रीकल्चर, आईटी, और अन्य उभरते हुए क्षेत्रों में शिक्षक और शोधकर्ता आदान-प्रदान को प्राथमिकता देने की सहमति दी। इससे दोनों विश्वविद्यालयों को वैश्विक शैक्षणिक मानकों के अनुरूप लाभ होगा। अंग्रेजी भाषा प्रशिक्षण के संदर्भ में नोंग लाम यूनिवर्सिटी की ओर से कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला से विशेष आग्रह किया गया कि यदि चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग से प्रशिक्षित और अनुभवी शिक्षक वियतनाम में आकर वहां के विद्यार्थियों और शिक्षकों को अंग्रेजी संप्रेषण कौशल में दक्षता प्रदान करें, तो इसे विशेष योगदान माना जाएगा। इस प्रस्ताव का स्वागत करते हुए दोनों पक्षों ने इस दिशा में सकारात्मक प्रयास करने पर सहमति जताई।
हस्ताक्षर समारोह होची मिन्ह सिटी में संपन्न हुआ, जिसमें कुलपति प्रोफेसर संगीता शुक्ला एवं नोंग लाम यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गुयेन तत तोआन ने हस्ताक्षर किए। इस अवसर पर दोनों विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ अधिकारी एवं विषय विशेषज्ञ भी उपस्थित रहे।
वियतनाम गए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के प्रतिनिधि मंडल में सम्मिलित शिक्षकों प्रोफेसर बीरपाल सिंह तथा प्रोफेसर जितेंद्र सिंह द्वारा पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ की उपलब्धियां गिनाते हुए बताया।
समझौते के तहत, तीन प्रमुख क्षेत्रों पर सहमति बनी
– छात्रों और शिक्षकों का आदान-प्रदान कार्यक्रम चलाना,
– संयुक्त डिग्री (दोहरी डिग्री) कार्यक्रमों का निर्माण करना,
– अनुसंधान परियोजनाओं में सहयोग को बढ़ावा देना।