Thursday, October 16, 2025
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Meerut: भावनपुर में ट्रांसपोर्टर से लूट के दोनों आरोपी गिरफ्तार

– एसपी देहात की निगरानी में पुलिस ने दोनों को दबोचा, दरोगा पर संशय बरकरार।

शारदा रिपोर्टर मेरठ। ट्रांसपोर्टर पुष्पेंद्र के साथ हुई गंभीर घटना ने पूरे इलाके को हिला दिया है। पुलिस ने मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है, जबकि एक दरोगा भी इस मामले में शामिल है। हालांकि उसकी पहचान अभी सार्वजनिक नहीं की गई है।

पहले ही एसएसपी की ओर से एसओ भावनपुर योगेंद्र कुमार को निलंबित किया जा चुका है। उधर, अस्पताल में भर्ती ट्रांसपोर्टर की हालत नाजुक बनी हुई है। चिकित्सकों ने बताया है कि 72 घंटे बाद ही स्थिति पर स्पष्ट रूप से कुछ कहा जा सकेगा।

मुबारकपुर गांव निवासी पुष्पेंद्र ट्रांसपोर्टर हैं। सोमवार देर शाम वह स्याल से गांव लौट रहे थे, तभी रास्ते में बाइक सवार दो बदमाशों ने उन्हें रोक लिया। बदमाशों ने पुष्पेंद्र से 20 हजार रुपये लूट लिए और फरार हो गए। घटना की जानकारी पुष्पेंद्र ने अपने गांव में दी और डायल 112 पुलिस को सूचना दी।

पुलिस मौके पर पहुंची और पुष्पेंद्र को थाने ले गई। थाने में पुष्पेंद्र के साथ पुलिस ने अभद्र व्यवहार किया। उन पर लूट की झूठी सूचना देने का आरोप लगाया गया। मौके पर मौजूद एक दरोगा ने पुष्पेंद्र के साथ हाथापाई की और फिर वीडियो बनाकर उसके मुंह से यह कहलवा लिया कि उसके साथ कोई लूट नहीं हुई।

तमाम कोशिशों के बावजूद पुलिस ने पुष्पेंद्र की एक नहीं सुनी। आधी रात करीब 3:30 बजे परिजन पुष्पेंद्र को थाने से घर ले गए, लेकिन पुलिस ने उसके दोनों मोबाइल और कार जब्त कर लिए।
अगली सुबह पुष्पेंद्र ने घर से जहर खा लिया। गांव के लोगों को जानकारी मिली तो वे उसे ढूंढकर अस्पताल ले गए। इस घटना के बाद हंगामा मच गया और कई थानों की पुलिस मौके पर पहुंच गई। थाना अध्यक्ष योगेंद्र कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया गया। कुछ लोग पूर्व प्रधान के साथ डीआईजी से मिले और इसके बाद एसपी देहात ने मामले की जांच शुरू कर दी।

बुधवार को इस मामले में मुकदमा दर्ज किया गया। इसमें दो युवकों के अलावा एक दरोगा भी आरोपी बनाया गया है। देर रात पुलिस ने अज्ञात दोनों युवकों की पहचान आर्यन और हर्ष के रूप में की और उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

मामले में थानाध्यक्ष को निलंबित कर दिया गया, लेकिन ट्रांसपोर्टर से मारपीट करने वाले दरोगा का नाम मुकदमे में नहीं खुला। इससे सवाल उठ रहे हैं कि आखिर क्यों दरोगा का नाम सार्वजनिक नहीं किया गया। क्या इस मामले में दरोगा को क्लीन चिट दी जा रही है, यह भी चर्चा का विषय बन गया है।

 

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