Wednesday, October 15, 2025
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बिहार में बीएलए आपत्तियां व दावे दर्ज कराएं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा चुनाव आयोग निर्देशों का पालन कर रहा

एजेंसी, नई दिल्ली। बिहार में चल रहे चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई है। इस दौरान शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि चुनाव आयोग ने हमारे निदेर्शों का अनुपालन किया है। उसकी ओर से हलफनामा भी दिया गया है। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि राजनीतिक दलों के बीएलए द्वारा आपत्तियां और दावे दर्ज कराए जाएं।
12 राजनीतिक दलों के बीएलए, जो 1.6 लाख बीएलए हैं और प्रति दस के हिसाब से 16 लाख आपत्तियां और दावे शेष दस दिनों में दर्ज करा सकते हैं। नए वोटर जुड़ रहे हैं। राजनीतिक दल के प्रतिनिधि तय तिथि तक आपत्ति और दावे की जानकारी चुनाव आयोग को मुहैया कराएं।

कोर्ट ने कहा कि हम आश्चर्यचकित हैं कि 1.6 लाख बीएलए राजनीतिक दलों के हैं और उनकी तरफ से आपत्तियां सामने नहीं आ रही हैं। वो आपत्तियां और दावे करें। हर एक वोटर का अधिकार है कि वो मतदाता बनने का आवेदन करे और आपत्ति भी दर्ज कराए।

इन वोटरों की सहायता 12 राजनीतिक दलों को करनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनीतिक दल अपने बीएलए को निर्देश दें कि वो ब्लॉक्स, पंचायतों, रिलीफ कैंप, गांवों समेत सभी क्षेत्रों में वोटरों की सहायता करें। आधार समेत अन्य दस्तावेज, जो ग्यारह में नहीं हैं, वो मुहैया करा सुप्रीम कोर्ट को चुनाव आयोग ने बताया 22 लाख वोटर मृत हैं और 7 लाख के डबल हैं। इस पर अदालत ने कहा कि हम मानकर चलते हैं कि 22 लाख वोटर मृत हैं, लेकिन डबल क्यों? चुनाव आयोग ने कहा कि यह आयोग का कर्तव्य है कि वह डबल ईपीआईसी ना होने दे और जो लोग बिहार से बाहर भी ईपीआईसी रखते हैं। उनका हटाना पड़ता है।

बिहार चुनाव आयोग को क्या दिया निर्देश?

शीर्ष अदालत ने कहा कि बिहार सीईओ को हम आदेश देते हैं कि वो राजनीतिक दलों के अध्यक्ष और महासचिव को नोटिस जारी करें कि वो इस मसले पर अदालत के आदेश पर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। बीएलए आॅनलाइन और निजी तौर पर 65 लाख हटाए गए मामलों में आपत्तियां और दावों की पेशकश कर सकते हैं। चुनाव आयोग के बीएलओ फिजिकल फॉर्म में दिए गए बीएलए द्वारा मुहैया कराए गए आपत्ति और दावों की पुष्टि के लिए नोट दें। वेबसाइट पर आवेदन कराने को लेकर भी एक्नॉलेज किया जाए।

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें तो बस राजनीतिक दलों की निष्क्रियता पर आश्चर्य है। बीएलए नियुक्त करने के बाद, वे क्या कर रहे हैं? लोगों और स्थानीय राजनीतिक व्यक्तियों के बीच दूरी क्यों है? आखिर राजनीतिक दलों ने सहयोग के नाम पर चुप्पी क्यों साध रखी है। आगे क्यों नहीं आ रहे हैं और आप इसे लेकर स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। वहीं, चुनाव आयोग ने कहा कि एडीआर समेत कोई भी राजनीतिक दल आगे नहीं आ रहे हैं और यहां पर बिना किसी आधार के आरोप लगा रहे हैं।

 

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