- कांग्रेस सहित सहयोगी दलों का जोश हुआ ठंडा।
- लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर आईएनडीआईए में भी बढ़ सकती है रार।
अनुज मित्तल, मेरठ। चार राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद भाजपा कार्यर्ताओं में लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर नया जोश भर गया है। तीन राज्यों में स्पष्ट बहुमत की सरकार आने के बाद भाजपा ने विपक्ष को पूरी तरह बैकफुट पर ला दिया है। इस सब में सबसे ज्यादा किरकिरी कांग्रेस की हुई है, ऐसे में आईएनडीआई में जुड़े क्षेत्रीय दल कहीं न कहीं कांग्रेस पर लोकसभा चुनाव में हावी होते नजर आएंगे।
चार राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर तमाम अटकलें लगाई जा रही थी। कांग्रेस ही नहीं पूरे विपक्ष को विश्वास था कि भाजपा राजस्थान में ही थोड़ी बहुत बढ़त ले सकती है। लेकिन मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा बहुत पीछे रहेगी। लेकिन रविवार को जब मतगणना के रूझान आना शुरू हुए तो तस्वीर पूरी तरह उलट होना शुरू हो गई। भाजपा ने राजस्थान सहित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जहां पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाई, तो तेलंगाना में भी एक सीट से अपनी सीट आठ पर पहुंंचा दी। जो कहीं न कहीं लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में ही नजर आ रहा है।
इस चुनाव परिणाम के बाद भाजपा ने दिखा दिया कि विपक्ष की सामूहिक एकता भी लोकसभा चुनाव में उसके सामने कोई बड़ी चुनौती पेश करती नजर नहीं आ रही है। वहीं दूसरी ओर इस विधानसभा चुनाव के दौरान और अब परिणाम आने के बाद कहीं न कहीं आईएनडीआई में आपसी रार ही बढ़ती नजर आ रही है।
कांग्रेस पर हावी हो सकते हैं क्षेत्रीय दल
आईएनडीआईए में कांग्रेस ही बड़ी पार्टी है, बाकी सब क्षेत्रीय दल हैं। इनमें कांग्रेस के बाद आम आदमी पार्टी ही प्रभावी है। वरना सभी पार्टी अपने अपने प्रदेशों तक ही सीमित हैं। विधानसभा के इस चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस की स्थिति सबसे ज्यादा खराब हुई है। आईएनडीआईए के भीतर अब यदि क्षेत्रीय दल सीट बंटवारे को लेकर उसके ऊपर हावी होते नजर आएं, तो हैरत नहीं होनी चाहिए। क्योंकि इस चुनाव परिणाम के बाद कांगे्रेस पूरी तरह बैकफुट पर है।
मायावती ने चुनाव परिणाम पर जताई हैरानी
बसपा सुप्रीमों मायावती ने ट्विट करके मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम पर हैरानी जताई है। मायावती ने लिखा है कि देश के चार राज्यों में अभी हाल ही में हुए विधानसभा आम चुनाव के परिणाम एक पार्टी के पक्ष में एक तरफा होने से सभी लोगों का शंकित, अचंभित और चिंतित होना स्वाभाविक है। क्योंकि चुनाव के पूरे माहौल को देखते हुए ऐसा विचित्र परिणाम लोगों के गले के नीचे उतर पाना बहुत मुश्किल है।
पूरे चुनाव के दौरान माहौल एकदम अलग व कांटे के संघर्ष जैसा दिलचस्प, किंतु चुनाव परिणाम उससे बिल्कुल अलग होकर पूरी तरह से एकतरफा हो जाना, यह ऐसा रहस्यात्मक मामला है, सि पर गंभीर चिंतन व उसका समाधान जरूरी। लोगों की नब्ज पहचानने में भयंकर ‘भूल-चूक’ चुनावी चर्चा का नया विषय।
मायावती के बयान ने राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। हालांकि ईवीएम और चुनाव परिणाम को लेकर पहले भी तमाम आरोप विपक्षी दल लगाते रहे हैं।
यूपी में होगा सबसे बड़ा सियासी घमासान
मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणाम का असर यूपी में लोकसभा चुनाव के दौरान नजर जरूर आएगा। लेकिन यहां का सियासी घमासान कुछ अलग ही होगा। क्योंकि यूपी में वोटरों का धु्रवीकरण पहले से तय होता जा रहा है। ऐसे में अधिकांश सीटों पर संघर्ष होगा। लेकिन बात अभी भी आईएनडीआईए के बीच सीटों के बंटवारे पर टिकी हुई है। क्योंकि यहां पर समझौता हो पाना आसान नजर नहीं आ रहा है। यूपी में आईएनडीआईए की तरफ से समाजवादी पार्टी अपना नेतृत्व लेकर चलेगी। जिसे दूसरे दल कितना स्वीकार कर पाएंगी, इस पर सबकी नजर टिकी हुई है।