- किसानों को मुआवजे की जगह दिए जाएंगे ट्रांसफर्बेल डेवलपमेंट राइट्स और अतिरिक्त एफएआर।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। सब कुछ ठीक रहा तो मेडा जल्द बढ़ते ट्रैफिक और जाम से जूझ रही शहर की लाइफ लाइन बिजली बंबा बाईपास को चौड़ा करने में सफल हो सकता है।
इसके लिए मेडा जहां किसानों से जमीन लेगा, वहीं किसानों से जमीन के बदले मुआवजा देने की बजाय नए प्रयोग के तहत टीडीआर यानि जमीन के ट्रांसफर्बेल डेवलपमेंट राइट्स (टीडीआर) और अतिरिक्त फ्लोर एरिया रेश्यो यानि एफएआर उपलब्ध कराएगा। इस नई योजना के तहत किसान अपनी डेवलप जमीन पर खुद बढ़े एफएआर पर निर्माण कर सकेंगे या अपनी टीडीआर किसी भी रीयल एस्टेट कारोबारी को बेच सकते हैं।
करीब 8 किलोमीटर लंबा बिजली बंबा बाईपास दिल्ली रोड को हापुड़ रोड से जोड़ता है। इस रोड से रोजाना हजारों वाहनों का आवागमन होता है। बाईपास पर बढ़ते वाहनों के दबाव और जाम के चलते इसके चौड़ीकरण पर लंबे समय से मंथन चल रहा है। पहले बाईपास के रजवाहे के दूसरी तरफ पटरी पर सड़क बनाने का प्रस्ताव बनाया गया था लेकिन सिंचाई विभाग के पेंच से यह पूरा नहीं हो सका। अब मेडा ने बाईपास की पटरी को चौड़ा करने प्लान बनाया है।
किसानों को मुआवजा नहीं, मिलेगी टीडीआर: मेडा उपाध्यक्ष अभिषेक पांडेय ने बताया कि बिजली बंबा बाईपास को चौड़ा करने के लिए किसानों से सड़क किनारे की 7 मीटर चौड़ी जमीन लेनी होगी, जो करीब 5 हेक्टेयर होगी। इसके लिए मेडा किसानों को जमीन का मुआवजा देने की बजाय ट्रांसफॅबल डेवलपमेंट राइट्स के साथ अतिरिक्त एफएआर की सुविधा प्रदान करेगा। इस नई योजना से किसानों को ज्यादा लाभ होगा और उन्हें उम्मीद है कि किसान इस नई पॉलिसी को पसंद करेंगे।
क्या है टीडीआर और एफएआर
टीडीआर यानि ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट्स को रियल एस्टेट इंडस्ट्री का कच्चा माल माना जाता है। यह डेवलपर को ज्यादा फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) की अनुमति देता है। वहीं एफएआर किसी इमारत के कुल फ्लोर एरिया ओर उस जमीन के आकार के बीच के अनुपात को बताता है जिस पर इमारत बनाई गई है। शहर की योजना बनाने में इस्तेमाल होने वाले नियमों में से ये एक है। अगर किसी सरकारी प्रोजेक्ट के लिए जमीन ली जाती है तो जमीन मालिक को मुआवजे की जगह अतिरिक्त फ्लोर एरिया रेश्यो यानि एफएआर दिया जाता है।
टीडीआर सर्टिफिकेट को आॅनलाइन शेयर की तरह ट्रेड किया जा सकता है।
टीडीआर का फायदा पाने के लिए जमीन मालिक बची जमीन पर एफएआर के साथ निर्माण कर सकते हैं या इसे डेवलपर को बेच सकते हैं। देश के कई राज्यों में टीडीआर पॉलिस लागू हो चुकी है। टीडीआर से किसानों, बिल्डरों को फायदा होता है, साथ ही निगम को भी राजस्व मिलता है।