– दो महीने ट्रेन में सफर करता रहा।
उन्नाव। अक्रमपुर सुलतानखेड़ा वार्ड 48 का 45 वर्षीय सूरजपाल मानसिक बीमारी से पीड़ित था। अक्सर घर से निकल जाता और लौट आता। लेकिन साल 2020 की एक शाम वह गया तो कभी वापस नहीं आया। घरवालों ने रिश्तेदारी, आसपास के जिलों और थानों तक खोजबीन की, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। धीरे-धीरे उम्मीदें भी टूटने लगीं।
सूरजपाल के लापता होने के कुछ ही महीने बाद नवंबर 2020 में उसके पिता उमाशंकर का निधन हो गया। घर की जिम्मेदारी पत्नी सुरजा देवी और बेटे पिंटू पर आ गई। आर्थिक तंगी और मानसिक पीड़ा ने परिवार को हताश कर दिया। सुरजा देवी ने मान लिया कि अब पति शायद कभी न लौटे।
करीब तीन साल बाद अचानक 1 जून 2024 को पाकिस्तान दूतावास से सूचना आई—एक भारतीय नागरिक सूरजपाल लाहौर जेल में बंद है। आरोप था कि उसने बिना पासपोर्ट सीमा पार की। जांच के बाद प्रशासन ने पुष्टि की कि यह वही सूरजपाल है, जो सालों पहले लापता हुआ था।
इस बीच पत्नी सुरजा देवी ने हार नहीं मानी। वह खुद वाघा बॉर्डर तक गईं, लेकिन निराश लौटीं। उन्होंने कहा कि लोग ताने मारते थे कि अब लौटेगा नहीं। पर मैंने हर मंदिर में माथा टेका। आज लगता है भगवान ने मेरी सुन ली।
लंबी कानूनी और राजनयिक प्रक्रिया के बाद सूरजपाल को रिहा किया गया। बुधवार की शाम वह उन्नाव के लोक नगर क्रॉसिंग के पास दिखा। चचेरे भाइयों ने पहचानकर घर पहुँचाया। घर पहुंचते ही पत्नी और बेटे की आंखों से आंसू छलक पड़े। मोहल्ले ने इसे किसी चमत्कार से कम नहीं माना।
प्रशासन ने पाकिस्तान दूतावास से मिले पत्र के बाद तुरंत पड़ताल शुरू की और मानवीय आधार पर पहल की। अधिकारी बोले कि अक्सर मानसिक रोगी अनजाने में सीमा पार कर जाते हैं। ऐसे मामलों में सहयोग जरूरी है। सूरजपाल की वापसी की खबर से पूरे मोहल्ले में खुशी की लहर है। बुजुर्ग रामप्रकाश ने कहाकि चार साल बाद किसी का यूं लौट आना भगवान की मर्जी के बिना संभव नहीं था।
मानसिक हालत अब भी कमजोर
सूरजपाल अभी पूरी तरह सामान्य नहीं है। बातचीत में बार-बार भटक जाता है। उसने इतना बताया कि वह ट्रेन से चंडीगढ़ तक पहुंचा और पता नहीं चला कि कब पाकिस्तान की सीमा पार कर गया। परिवार अब उसका इलाज कराने की तैयारी में है।