जनप्रतिनिधि अपने चहेतों को पदाधिकारी बनाने का बना रहे दबाव।
हर जाति और वर्ग को शामिल करना है दोनों अध्यक्षों के लिए चुनौती।
कई पुराने दागदार चेहरों को हटाने का भी है दबाव।
शारदा न्यूज, रिपोर्टर |
मेरठ। भाजपा के जिला और महानगर अध्यक्ष करीब डेढ़ माह पहले घोषित कर दिए गए थे। लेकिन अभी तक भी नई कार्यकारिणी का गठन नहीं किया गया है। अब नई कार्यकारिणी गठन के लिए हरी झंडी मिलने के बाद दोनों अध्यक्षों के ऊपर दबाव की राजनीति शुरू हो गई है। जिसमें जनप्रतिनिधियों के साथ ही वरिष्ठ नेता अपने चहेतों को कार्यकारिणी में शामिल कराने के लिए ज्यादा दबाव बना रहे हैं।
भाजपा महानगर अध्यक्ष सुरेश जैन रितुराज दूसरी बार महानगर अध्यक्ष बने हैं। हालांकि वह जानते हैं कि महानगर के लिए किस तरह की टीम बनानी है। लेकिन दबाव के चलते वह खुलकर निर्णय लेने की स्थिति में नहीं है। पुरानी कार्यकारिणी से कई चेहरे अपने को रिपीट करने का दबाव बना रहे हैं। इनमें कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जिन पर नगर निगम में ठेके आदि के मामलों सहित कई दूसरे गंभीर आपराधिक आरोप भी हैं। ऐसे में इन्हें हटाकर नये चेहरों को सामने लाना सुरेश जैन रितुराज के सामने जहां चुनौती होगा। वहीं जनप्रतिनिधियों से पार पाना भी आसान नहीं होगा।
सुरेश जैन अपनी मनपसंद टीम चुनने की तैयारी में है। क्षेत्रीय अध्यक्ष और प्रदेश अध्यक्ष इसके लिए उन्हे ंबोल चुके हैं। लेकिन स्थानीय स्तर के दबाव को वह कैसे दरकिनार कर अपनी मजबूत टीम बनाएंगे। इस पर सभी की नजर लगी है।
वहीं दूसरी ओर ऐसी ही स्थिति भाजपा जिलाध्यक्ष शिवकुमार राणा के ऊपर भी है। शिवकुमार राणा भी दूसरी बार अध्यक्ष बने हैं। पिछली बार उन्हें मनपंसद टीम चुनने में काफी परेशानी झेलनी पड़ी थी और उनके कई पसंदीदा चेहरों को कार्यकारिणी में जगह नहीं दी गई थी।
लेकिन इस बार शिवकुमार राणा का पूरा प्रयास रहेगा कि वह अपने निष्ठावान साथियों को टीम में जरूर लाएं। वहीं इनके ऊपर भी जनप्रतिनिधियों का दबाव साफ दिखाई दे रहा है। शिवकुमार राणा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उनके कार्यक्षेत्र में चार संसदीय क्षेत्र भी आते हैं। चर्चा है कि ऐसे में उनके ऊपर सभी दबाव बन रहा है। जिससे पार पाना उनके लिए भी बड़ी चुनौती है।
दीवाली से पहले घोषित हो सकती है कार्यकारिणी
जिला और महानगर की कार्यकारिणी दीवाली से पहले घोषित हो सकती है। क्योंकि शुक्रवार को क्षेत्रीय कार्यालय पर भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सतेंद्र सिसौदिया दोनों अध्यक्षों को इसके निर्देश दे गए हैं। क्षेत्रीय अध्यक्ष के निर्देश के बाद जहां दोनों अध्यक्ष अपनी टीम को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं, तो उनके ऊपर दबाव की राजनीति भी तेज हो गई है।
सभी जातियों का करना होगा समावेश
महानगर और जिले में सभी जातियों को समावेश करना होगा। महानगर में वैश्य, पंजाबी, ब्राहमण, दलित, अति पिछड़ों को जहां शामिल करना होगा, तो जिले में भी गुर्जर, जाट, वैश्य, ब्राहमण, प्रजापति, त्यागी और दलितों को शामिल करना होगा।