अभी थमती नजर नहीं आ रही हैं सपा नेता आजम खां की मुश्किलें
लोकसभा चुनाव में भाजपा और सपा दोनों ही बनाएंगी इसे मुद्दा।
अनुज मित्तल, समाचार संपादक |
मेरठ। लोकसभा चुनाव की तैयारी के बीच चल रही सियासी जंग में आजम खां मोहरा बन गए हैं। हालात ऐसे हैं कि भाजपा पीछा छोड़ने को तैयार नहीं है और सपा कुछ करने की हैसियत में नहीं है। ऐसे में आजम खां की मुश्किलें अभी और बढ़ती नजर आ रही हैं। लेकिन यह तय है कि मुश्किलों में घिरे आजम खां उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान दोनों ही पार्टियों का मुद्दा जरूर बनेंगे।
उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद से ही आजम खां पूरी तरह निशाने पर आ गए थे। तब से लेकर आज तक उनकी मुसीबत लगातार बढ़ती जा रही है। एक तरफ जहां उन पर सौ से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, तो भड़काऊ भाषण मामले में उन्हें सजा भी हो चुकी है। अब फिर से उन्हें बेटे के दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात साल की सजा हुई है। वहीं दूसरी ओर वह ईडी और आयकर विभाग की जांच में भी फंसे हुए हैं।
कभी उत्तर प्रदेश की सियासत को अपने दम पर हिलाने का दम रखने और यूपी में मुसलमानों के सर्वमान्य नेता माने जाने वाले आजम खां का कद किसी मुख्यमंत्री से कम नहीं था। आजम खां के प्रदेश सरकार में मंत्री रहते हुए ही मेरठ को कमेला से मुक्ति मिली थी। आजम खां से उस वक्त जिसने भी अदावत की, उसे मुंह की खानी पड़ी। लेकिन अब आजम खां पूरी तरह बेबस नजर आ रहे हैं।
आजम खां को लेकर उनकी पार्टी भी सिर्फ बयाबाजी तक ही सिमटी नजर आ रही है। बुधवार को सजा होने के बाद अखिलेश यादव ने इसे मुस्लिम होने के कारण उत्पीड़न बताया। वहीं भाजपा ने जैसी करनी, वैसी भरनी की बात कही।
लेकिन इस बयानबाजी के बाद तय हो चला है कि लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के भीतर आजम खां भी मुद्दा रहेंगे। भाजपा जहां हर मंच से आजम खां के इस हाल को बयां करेगी, तो सपा भी अपने मंच से मुस्लिमों को जोड़ने के लिए इसे भाजपा की धर्म विशेष से द्वेष रखने की नीति बताकर निश्चित रूप से प्रचारित करेगी।
जल्दी राजनीति में लौटना नहीं होगा आसान
आजम खां और उनके परिवार वाले पहले ही अपने पद गंवा चुके हैं। अब शीघ्र ही दोबारा से सक्रिय राजनीति में आकर चुनाव लड़ते हुए अपने अस्तित्व को बचाना आसान नजर नहीं आ रहा है। जब कि प्रदेश में भाजपा की सरकार है, तब तक आजम खां राजनीति में सक्रिय हो पाएंगे, लगता नहीं है। सबसे बड़ी बात ये है कि जिस तरह उन्हें फर्जी जन्म प्रमाण पत्र मामले में सजा हुई है, उससे इस बार लोकसभा चुनाव में उनकी चुनाव लड़ने की उम्मीदों पर भी पूरी तरह पानी फिर गया है। न्यायालय द्वारा सजा देने के कारण वह आगे भी चुनाव लड़ पाएंगे, मुश्किल नजर आ रहा है।
पश्चिमी यूपी के कई धुरंधर लग गए ठिकाने
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुस्लिम राजनीति की धुरी माने जाने वाले कई नेता ठिकाने लग चुके हैं। लोकसभा चुनाव में उनकी सक्रियता इस शायद ही नजर आए। आजम खां और उनके परिवार के साथ ही मेरठ के पूर्व मंत्री हाजी याकूब कुरैशी, पूर्व सांसद और मेयर हाजी शाहिद अखलाक, सहारनपुर के एमएलसी हाजी इकबाल जहां खुद को या परिजनों को बचाने में ही उलझे हुए हैं, तो अन्य कई नेता भी पूरी तरह निशाने पर हैं। जो चुनाव से पहले परिदृश्य से गायब हो सकते हैं।