- सभ्यता की दृष्टि से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा.
नई दिल्ली। भारत समय-समय पर सिंध को भारत से मिलाने की बात दोहराता रहा है, लेकिन सिंध को लेकर दिए गए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के हालिया बयान ने पाकिस्तान में हलचल पैदा कर दी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक सिंधी समुदाय के कार्यक्रम में कहा कि सिंध की जमीन भारत का हिस्सा भले न हो, लेकिन सभ्यता की दृष्टि से सिंध हमेशा भारत का हिस्सा रहेगा। उन्होंने कहा कि जहां तक जमीन का सवाल है, सीमाएं बदल सकती हैं। कौन जाने, कल सिंध फिर से भारत का हिस्सा बन जाए।
राजनाथ का ये दावा यू ही नहीं हुआ। उन्होंने अपने दावे के पीछे के इतिहास और कारण भी गिनाए हैं, जिससे ये साफ होता है कि सिंध से भारत हमेशा जुड़ा रहा है। पाकिस्तान की विदेश मंत्रालय ने तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए सिंह के बयान को खारिज किया। प्रवक्ता ने कहा, यह भारत की विस्तारवादी सोच का सबूत है, जो क्षेत्रीय शांति को खतरे में डालता है।
वहीं, सिंध के एक प्रमुख नेता ने इस बयान का स्वागत किया और कहा कि सिंधी लोग हमेशा भारत की ओर आकर्षित रहे हैं। भारत के सिंधी समुदाय ने भी बयान का समर्थन किया, उन्होंने इसे खोई हुई धरोहर की पुकार बताया।
क्यों करता है भारत सिंध पर दावा?
विभाजन के बाद भले ही सिंध भौगोलिक दृष्टि से पाकिस्तान के पास चला गया हो लेकिन उसका दिल भारत के लिए आज भी धड़कता है। हमारा राष्ट्रगान से 2005 में जब सिंध नाम हटाने की मांग की गई, तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिंध शब्द केवल भौगोलिक स्थान से जोड़ा नहीं है, क्योंकि ये शब्द भारत और सिंधी सांस्कृतिक पहचान से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। सिंध नदी को पश्चिमी देशों में इंडस रिवर के नाम से जाना जाता है। जो इंडिया यानी भारत की नदी पर रखा गया नाम है। राजनाथ ने कहा कि सिंध हिंदू कभी भी पाकिस्तान के साथ पूर्ण एकीकरण को स्वीकार नहीं कर पाए। वे हमेशा भारत की ओर देखते रहे।
वहीं उन्होंने अपने तर्क को मजबूत करते हुए कहा कि ऋग्वेद में सिंधु का उल्लेख है और महाभारत में सिंधु राजा जयद्रथ की कहानी सिंध की गहराई बताती है। इसके अलावा सिंधी भाषा और लोकगीत, जैसे सिंधु तीर पर की परंपराएं, भारत के गुजरात और राजस्थान से अभिन्न रूप से जुड़ी हैं।
राजनाथ सिंह ने बताया कि कैसे भारत सिंधी भाइयों की रक्षा के लिए नैतिक रूप से बाध्य है. सिंह ने कहा कि पाकिस्तान में सिंधी लोगों पर हो रहे उत्पीड़न, जैसे जल संसाधनों पर नियंत्रण और सांस्कृतिक दमन। जो भारत को उनकी रक्षा करने के लिए नैतिक तौर पर बाध्य बनाता है। उन्हेंने कहा कि पाकिस्तान एक घातक जहर है, जो सिंध को निगल रहा है।



