ट्रंप की चेतावनी का भी कोई असर नहीं।
एजेंसी, नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ को लेकर भारत को चेतावनी दी। फिर भारत पर टैरिफ भी लगाया। लेकिन इस टैरिफ का भारत पर कितना असर हुआ। ये जवाब अब भारत रूसी तेल खरीदारी से दे रहा है। जहां भारत को रोकने की अमेरिका ने पूरी तरह से कोशिश की। वहीं इस कोशिश का जवाब भारत की तरफ से रूसी तेल खरीदारी के रूप में आ रहा है।
दरअसल, भारत ने रिकॉर्ड स्तर पर रूस से तेल खरीदना अभी भी बंद नहीं किया है। अगस्त में भारत ने पिछले महीने यानी की जुलाई के मुकाबले ज्यादा तेल खरीदा है। वहीं रूस से तेल खरीदने में चीन भी पीछे नहीं हटा। चीन भी बराबर और बड़े स्तर पर तेल खरीद रहा है। जुलाई के मुकाबले अगस्त में चीन ने रूस से तेल जरूर कम खरीदा। लेकिन ये इतना कम नहीं था की रूस को झटका लगे।
अगस्त में तो भारत ने रूस से लगातार तेल खरीदकर अमेरिका को मुंहतोड़ जवाब दे दिया। अगस्त में भारत ने रूस से 2.9 बिलियन यूरो यानी करीब साढ़े तीन अरब डॉलर का तेल खरीदा। ये चीन के 3.1 बिलियन यूरो यानी 3.64 अरब डॉलर के बहुत करीब है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत का तेल आयात जुलाई में 2.7 बिलियन यूरो था। अगस्त में ये बढ़कर 2.9 बिलियन यूरो हो गया है। वहीं चीन का तेल आयात जुलाई में 4.1 बिलियन यूरो था जो अगस्त में घटकर 3.1 बिलियन यूरो हो गया। चीन ने रूस से तेल खरीदने में थोड़ी कमी जरूर लाई। लेकिन भारत ने तो सबको चौंका दिया। भारत ने 50 प्रतिशत टैरिफ के बावजूद जुलाई में रूस से रिकॉर्डतोड़ स्तर पर तेल खरीदा। भारत का तेल आयात जुलाई से बढ़कर अगस्त में और ज्यादा दिख रहा है।
अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है कि वो रूस से तेल न खरीदे। लेकिन इस धमकी के बावजूद भारत तो लगातार रिकॉर्डस्तर पर तेल खरीदकर सबको चौंका रहा है। यूक्रेन ड्रोन हमलों से प्रभावित रूसी तेल रिफाइनरियाँ लड़खड़ा रही हैं। लेकिन भारत ने रूस में इस संकट को एक अवसर में बदल दिया है।
रूसी और मध्य पूर्वी तेल की कीमतों में भारी अंतर ने भारतीय रिफाइनरियों को आकर्षित किया है। यूराल क्रूड ब्रेंट की कीमतों से 5-6 डॉलर प्रति बैरल कम पर उपलब्ध है, जो उस उद्योग में काफी बचत दशार्ता है जहाँ कीमतों में मामूली बदलाव लाभप्रदता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।



