Tuesday, June 17, 2025
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यूपी ने तुर्की व अजरबैजान को दिया दो हजार करोड़ का झटका

  • भारत व पाक संघर्ष में तुर्की ने दिया था पाकिस्तान का साथ।

एजेंसी, नई दिल्ली। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में तुर्की और अजरबैजान ने साथ दिया था। ये साथ अब दोनों ही देशों को भारी पड़ा रहा है। उत्तर प्रदेश ने तुर्की और अजरबैजान के साथ व्यापारिक संबंधों में कड़ा रुख अपनाया है जिससे दोनों देशों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। पर्यटन क्षेत्र पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा है, लगभग 2000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। फल, मसाले और अन्य उत्पादों के आयात पर भी रोक लगने से व्यापार प्रभावित हुआ है। यूपी के लोग अब घरेलू पर्यटन स्थलों को तरजीह दे रहे हैं।

तुर्की और अजरबैजान ने सपने में भी नही सोचा होगा कि उनको पाकिस्तान का साथ देने की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। करीब 32000 करोड़ का नुकसान इन दोनों देशों को होने जा रहा है जिसमें अजरबैजान का नुकसान ज्यादा है। ये नुकसान उनको पर्यटन, फलों और सूखे मेवों के आयात, मसालों, चाय और सिरेमिक वस्तुओं के आयात पर प्रतिबंध से हो रहा है।

पर्यटन सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट्स की माने तो अकेले यूपी से इन दोनों देशों को करीब दो हजार करोड़ का झटका लगा है। यूपी से हर साल इन दोनों देशों में करीब तीस हजार से ज्यादा पैकेज की बुकिंग यूपी से होती है। अब तक 18 हजार टूर पैकेज कैसिल हो चुके हैं जबकि अगस्त तक ये अनुमान 25 हजार तक जाने का अनुमान है। इन दोनों देशों में यूपी से सबसे ज्यादा पर्यटक पूर्वांचल से जाते हैं। पूर्वांचल से अकेले 15 हजार से ज्यादा टूर पैकेज निरस्त हुए हैं। पूर्वांचल के टूर एन्ड ट्रेवल से जुड़े एक्सपर्ट्स अब इन दोनों देशों की जगह लोकल टूरिज्म को प्रमोट कर रहे हैं।

वाराणसी, गोरखपुर, आजमगढ़,मऊ श्रावस्ती और बहराइच से ज्यादा लोग इन दोनों देशों की यात्रा पर जाते हैं। जबकि टर्की और अजरबैजान से करीब दस हजार से ज्यादा पर्यटक वाराणसी आते हैं। हमें उम्मीद है कि हमारे इस मुहीम से हमारे टूरिस्ट डेस्टिनेशन तो बूम करेंगे ही हमारे दुश्मन देशों को भी पता चलेगा कि पाकिस्तान का साथ देना उनको कितना भारी पड़ रहा है।

अजरबैजान की राजधानी बाकू जहां सैलानी जाना ज्यादा पसंद करते हैं। उनको हम ये समझा रहे हैं कि बाकू और किन्नौर का क्लाइमेट एक सा है और भौगोलिक परिस्थिति भी एक जैसी ही है। बाकू जाने में पर हेड अस्सी हजार से ज्यादा का खर्चा है जबकि किन्नौर घूमने में यही खर्च तीस हजार पर हेड के आस पास बैठता है. अजरबैजान के जीडीपी में पर्यटन क्षेत्र का कंट्रीब्यूशन करीब 15% है और 70% पर्यटक भारत से जाते हैं तो उसकी कमर टूटनी तो तय है।

 

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