- पार्किंग के अभाव में शहर के भीतर सड़कों पर ही खड़ी हो रही गाड़ियां, लग रहा जाम।
शारदा रिपोर्टर मेरठ। लाख दावों के बावजूद शहर भर में लोगों को जाम का झाम झेलना पड़ रहा है। लोग अपने वाहनों को सड़कों पर खड़ा कर जाते हैं। जिससे स्थिति और भी ज्यादा विकट हो जाती है। जबकि, देखा जाए तो जिम्मेदार विभागों के अफसरों ने जनता के लिए पार्किंग की कोई व्यवस्थाओं ही नहीं की है।
शहर में शायद ही कोई ऐसी सड़क हो, जहां अवैध पार्किंग नहीं हो। ऐसे अवैध पार्किंग स्थलों और स्टैंड के खिलाफ आदेश होने पर चंद दिनों तक तो अभियान चला और नोटिस भी दिया गया। लेकिन उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं। लोगों की इस समस्या को देखते हुए सोमवार को पुलिस ने सड़कों पर जाम का कारण बन रहे वाहनों पर चालान किया। जिसके चलते वाहन स्वामियों में हड़कंप मच गया। इस दौरान पुलिस ने सड़कों पर बेतरतीब तरीके से खड़े वाहनों के चालान काटे और दोबारा सड़क पर व्हीकल ना खड़ी करने की चेतावनी भी दे डाली। हालांकि, पुलिस को यह अभियान आगे कब तक चलेगा, इस बात की कोई गारंटी नहीं।
शहर में जाम का बड़ा कारण सड़क किनारे अवैध पार्किंग है। शासन से जारी नए मानकों के आते ही शहर में चल रही निगम की पार्किंग व्यवस्था बिल्कुल धराशाही हो चुकी है। नगर निगम ने व्यवस्था तो कुछ नहीं की, लेकिन वर्तमान वित्तीय वर्ष में 17 स्थानों के लिए पार्किंग का ठेका छोड़ दिया, लेकिन ठेकेदार खेल कर ठेके में शामिल ही नहीं हुए। गढ़ रोड, दिल्ली रोड, कचहरी रोड तो ऐसी पार्किंग से भरा हुआ है।
चार साल पूर्व 25 स्थान थे पार्किंग के: दो साल पहले 2020-2021 तक नगर निगम शहर में 25 स्थानों पर पार्किंग के ठेके छोड़ता था। इनमें से टाउन हॉल, सूरजकुंड पार्क आदि को छोड़कर सभी पार्किंग स्थल सड़कों के किनारे, अस्पतालों, बैंक और अन्य बड़े भवनों के बाहर थे। शासन ने जैसे ही पार्किंग के लिए शौचालय, पेयजल, टीन शेड और अन्य सुविधाएं अनिवार्य करते हुए नए मानक जारी किए तो नगर निगम की पार्किंग व्यवस्था धराशाई हो गई। निगम को इनमें से 23 को बंद करना पड़ा। अब भी मानक तो कुछ भी नहीं हैं, लेकिन पार्किंग वसूली धड़ल्ले से जारी है।
बस पांच पार्किंग वैध, बाकी सब अवैध: नगर निगम के रिकार्ड में शहर में फिलहाल पांच स्थानों की पार्किंग ही वैध है, बाकी सब अवैध हैं। नगर निगम अधिकारियों के अनुसार टाउन हॉल, सूरजकुंड, बेगमपुल नाला रोड, मिमहेंस हॉस्पिटल और एलएफसी हनी हाईट की पार्किंग वैध है। हालांकि, मानकों का पालन कुछ भी नहीं है। बस नगर निगम ने ठेका छोड़ रखा है। पार्किंग शहर के हर कोने में, चप्पे चप्पे पर है। उन्हें चलाने वाले लोग बाकायदा पर्ची भी काटते हैं, लेकिन उसमें से एक भी पैसा निगम अथवा सरकारी खाते में नहीं जाता है।
पार्किंग बन गए लूट के अड्डे: शहर में पार्किंग अब लूट के अड्डे बन गए हैं। नगर निगम की ओर से शर्तों और मानकों का कोई पालन नहीं हो रहा। इतना ही नहीं शुल्क की दरें भी मनमाने तरीके से वसूल की जा रही है। कई स्थानों पर नेताओं के संरक्षण में लूट की पार्किंग चल रही है। ठेका मिलते ही ठेकेदार को उनका संरक्षण शुरू हो जाता है। यहां तक कि अवैध पार्किंग के खिलाफ तहरीर पर मुकदमा भी दर्ज नहीं होता है। एक ऐसा ही मामला शहर के एक थाने का है।
इन स्थानों का निगम ने छोड़ा था ठेका: टाउन हॉल, दयानंद अस्पताल के सामने आबूनाले को पाटकर, मिमहेंस हॉस्पिटल, एलएफसी मंगल पांडे नगर, देशी बाईट मंगल पांडे नगर, आरपीजी टावर विश्वविद्यालय रोड, नेहरु रोड संजीवनी पुस्तकालय, मंगल पांडे नगर के सामने, सिटी सेंटर बच्चा पार्क, शिव चौक सरधना रोड, नगर निगम पार्क के सामने मंगल पांडे नगर, ब्राडवे इन होटल के सामने, कोटक महिन्द्रा बैंक के सामने, ओम हॉस्पिटल गढ़ रोड, यूको बैंक पीवीएस रोड।
इन स्थानों का हुआ है ठेका: नगर निगम की ओर से वर्तमान में केवल टाउन हॉल, सूरजकुंड पार्क, मिमहैंस अस्पताल, एलएफसी और दयानंद अस्पताल के सामने आबूनाले को पाटकर नाले पर पार्किंग का ठेका दिया गया।
गढ़ रोड पर सड़क पर पार्किंग: गढ़ रोड पर तो कई अस्पतालों के बाहर सड़क पटरी पर ही गाड़ियां पार्क हो रही हैं। करीब एक माह पहले नगर निगम ने अभियान चलाकर चेतावनी दी थी। दुकानों के अतिक्रमण को हटा दिया था। पार्किंग बंद करा दी गई थी, लेकिन अब सब कुछ फिर वैसा ही है। लोग आराम से गाड़ियां पार्क करते हैं। वसूली करने वाला चुपचाप पैसे लेकर घूमता रहता है।
दिल्ली रोड में एक तरफ तो रैपिड का काम चल रहा है। दूसरी तरफ मॉल के बाहर सड़क तक गाड़ियां पार्क हो रही हैं। बागपत अड्डे से आगे बढ़ते ही सड़क तक दोपहिया, चार पहिया वाहन पार्क किए जा रहे हैं। पार्किंग ठेकेदार गाड़ियां लगाते ही पर्ची थमा देता है। पैसा किस बात का, सवाल होते ही उलझ जाता है। बोलता है कि गाड़ी हटा लो यहां से।
पार्किंग की प्रमुख शर्तें
ठेकेदार को पार्किंग स्थल पर पेयजल, शौचालय, टीनशेड आदि की व्यवस्था करनी होगी लेकिन कहीं कुछ भी नहीं, ठेकेदार अपने कर्मचारी को परिचय पत्र देगा, लेकिन कोई परिचय पत्र नहीं, नगर निगम से निर्धारित शुल्क पर होगी वसूली लेकिन कोई रेट तय नहीं, पार्किंग लाइट आदि।
कचहरी रोड पार्किंग
सड़क किनारे जहां मर्जी गाड़ी खड़ी कर लो। गाड़ी खड़ी करते ही पर्ची लेकर पहुंच जाते हैं पार्किंग ठेकेदार के लोग। लोग बिना कुछ कहे 20 रुपये निकाल कर दे देते हैं। टोका-टोकी करने पर ठेकेदार के लोग भिड़ने को तैयार रहते हैं। लोग गाड़ी खड़ी करते हैं और कचहरी के अंदर चले जाते हैं। करीब दो सौ गाड़ियां बिल्कुल सड़क पर खड़ी रहती हैं। नगर निगम के रिकार्ड में इस सड़क पर कोई पार्किंग नहीं है।
हनुमान मंदिर के बगल में
कचहरी रोड पर हनुमान मंदिर के बगल में मार्केट कॉम्पलैक्स। लोगों की सुविधा के लिए मार्केट कॉम्पलैक्स में पार्किंग की व्यवस्था है, लेकिन कुछ लोग वहां भी वाहन लगाते ही वसूली के लिए पहुंच जाते हैं। यहां भी मार्केट कॉम्पलैक्स से लेकर बाहर तक गाड़ियां पार्क हो रही, कोई व्यवस्था नहीं।