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Sunday, November 2, 2025
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अवैध हथियारों की तस्करी में हुआ बड़ा खुलासा, गन हाऊस मालिकों के साथ मिलकर हो रहा था बड़ा खेल

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  • फैक्ट्री मेड नहीं पुरानी लाइसेंसी बंदूकों की हो रही थी अवैध सप्लाई,

शारदा रिपोर्टर मेरठ। यूपी पुलिस के दरोगा से बरामद हथियारों के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। जो बंदूक बरामद हुई हैं, वे किसी लोकल फैक्ट्री में नहीं बनी थी। ये सब लाइसेंसी पुराने हथियार हैं। जिनको गन हाउस मालिक द्वारा फर्जी तरीके से गैंग को बेचा जा रहा था। हथियार तस्करी का गैंग लीडर अनिल बंजी इन हथियारों को प्रोफेशनल बदमाशों को सप्लाई करता था। इतना ही नहीं अनिल बंजी मेरठ में सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि के प्रोफेसर पर जानलेवा हमले में जेल गया था। जमानत पर छूटने के बाद वह फिर से हथियार तस्करी करने लगा। मेरठ एसटीएफ की टीम उसकी तलाश में जुटी थी।

एसटीएफ के एसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि टीम को इनपुट मिला कि हथियार तस्कर पंजाब से बड़े पैमाने पर हथियार लाकर वेस्ट यूपी में सप्लाई करते हैं। टीम ने शनिवार आधी रात को कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र में घेराबंदी करके एक हथियार तस्कर रोहन पुत्र राकेश निवासी बड़ौत बागपत को गिरफ्तार कर लिया। उसके पास से स्कार्पियो कार में 5 सिंगल बैरल और 12 डबल बैरल बंदूक और 700 कारतूस बरामद हुए। उसके चार साथी फरार हो गए।

ऐसे सप्लाई हो रहे थे लाइसेंसी हथियार: गन हाउस पर नए हथियारों के अलावा ऐसे पुराने हथियार भी होते हैं जिनको लाइसेंस होल्डर सरेंडर कर देते हैं। अगर किसी लाइसेंस होल्डर की मौत हो गई और उसके परिवार वालों ने लाइसेंस नहीं बनवाया तो उसे परमिशन लेकर गन हाउस पर बेच दिया जाता है। बहुत से लोग हथियार पुराने होने की वजह से बेच देते हैं। नए लाइसेंस वाले लोग अमूमन नए हथियार ही लेते हैं। ऐसे में गन हाउस पर पुराने काफी हथियार होते हैं।

अनिल बंजी ऐसे ही गन हाउस से सांठगांठ करके इन हथियारों को 40 से 50 हजार रुपए प्रति बंदूक तथा 100 रुपए प्रति कारतूस (315 बोर) खरीदता था। इसके बाद इन बंदूकों को यह लोग 80 हजार से एक लाख में और कारतूस को 200 से 250 रुपए में बेच देते थे। गन हाउस का मालिक अनिल को असलाह व कारतूस किसी अन्य व्यक्ति के नाम से फर्जी रसीद काटकर देता था। वह फर्जी रसीदें अनिल बालियान अपने पास रखता था। फिर इन हथियारों को प्रोफेशनल बदमाशों को बेचा जाता था।

सस्ते में हथियार लेकर महंगे में बेच रहे थे: गन हाऊस मालिक पुरानी एक नाली बंदूक तीन से पांच हजार रुपये और दोनाली बंदूक आठ से दस हजार रुपये तक की खरीदते हैं। इस समय रिवाल्वर, पिस्टल और राईफल का चलन ज्यादा होने के कारण बंदूक के रेट डाउन हैं। यदि कोई बंदूक भी लेता है तो वह मेग्जिन वाली पंप गन पसंद करता है, जिसका दाम एक लाख रुपये से दो लाख रुपये तक है। लेकिन अवैध रूप से गन हाऊस मालिक बहुत ही सस्ते दामों पर बंदूकें खरीदकर उन्हें दोबारा पॉलिश आदि कराकर बहुत महंगे दामों पर अवैध रूप से बेचने का काम कर रहे हैं।

गन हाउस मालिकों को बनाया जाएगा आरोपी: एसटीएफ एसपी बृजेश कुमार सिंह ने बताया जिन गन हाउस से ये हथियार खरीदे गए हैं, उनको भी मुकदमे में आरोपी बनाया जा रहा है। उनकी गिरफ्तारी की जाएगी। इस पूरे नेक्सस को खंगाला जा रहा है। जिस तरह से लाइसेंसी हथियारों को इस तरह से बेचा जा रहा था, उसके गिरोह के तार लंबे जुड़ सकते हैं।

संजीव जीवा गैंग से जुड़ा था अनिल बंजी

अंतर्राज्यीय गैंग का मुख्य सरगना अनिल बालियान उर्फ अनिल बंजी पहले कुख्यात धर्मेंद्र किरठल के गैंग से जुड़ा था। साल 2013 में रोहटा रोड पर धर्मेंद्र किरठल के साथी अनिल बामडोली का मर्डर हो गया। इसमें अनिल पर मुखबिरी का शक जताया गया था। इसके बाद से धर्मेंद्र किरठल और अनिल बालियान अलग हो गए। धर्मेंद्र से बचने के लिए अनिल बालियान ने संजीव जीवा गैंग से हाथ मिला लिया। फैजाबाद जेल में अनिल बालियान ने संजीव जीवा से मिलकर 12 लाख में एके-47 और 1300 कारतूस खरीदे। जिससे की धर्मेंद्र किरठल पर हमला करा सके।

15 दिन बाद होनी थी दरोगा के बेटे रोहन की शादी

हथियार तस्करी में पकड़े गए दरोगा के बेटे रोहन ने पोस्ट ग्रेजुएशन किया। दरोगा की भी तैयारी की, लेकिन नौकरी नहीं लग पाई। अब वह ठेकेदारी कर रहा था। इसी दौरान उसकी मुलाकात हथियार तस्कर अनिल बालियान से हुई तो पैसा कमाने के लालच में वह हथियारों की तस्करी से जुड़ गया। रोहन की 15 दिन बाद शादी होनी थी। वह एसटीएफ के सामने गिड़गिड़ाता रहा कि उसकी शादी है, उसे छोड़ दें।

 

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