ये कैसा यातायात माह, ना सिर पर हेलमेट और ना ही माने जा रहे नियम

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शारदा रिपोर्टर मेरठ। जिले में चल रहा यातायात माह मजाक बन कर रह गया है। सड़कों पर दुपहिया और चोपहिया वाहन चालक धड़ल्ले से नियमों को उल्लंघन करते घूम रहे हैं। लेकिन कोई उन्हें रोकने वाला नहीं है। हर साल की भांति इस वर्ष भी नवंबर माह में मेरठ में यातायात महा सुचारू है। किसका शुभारंभ 3 नवंबर को आईजी नचिकेता झा, डीएम दीपक मीणा, एसएसपी विपिन ताडा, एसपी सिटी आयुष विक्रम सिंह और एसपी ट्रैफिक राघवेंद्र मिश्रा ने पुलिस लाइन सभागार से किया।

इस दौरान दावा किया जा रहा था कि, ना तो शहर में अवैध और डग्गामार वाहनों को चलने दिया जाएगा और ना ही जहरीला धुआं छोड़ते वाहनों को। जबकि, ट्रैफिक रूल ब्रेक करने वाले लोगों पर सख्त कार्रवाई करते हुए जुमार्ना भी वसूला जाएगा।

लेकिन, तस्वीरों को देखकर लगता है कि शायद ट्रैफिक विभाग के पुलिसकर्मी कुंभकर्णी नींद में सोए हुए हैं। ना तो शहर में कहीं चेकिंग चलती दिखाई दे रही है और ना ही ट्रैफिक पुलिस विभाग के अधिकार कहीं चेकिंग करते हुए नजर आते हैं। जिसको देखकर लगता है कि, शायद कागजों में ही रेड लाइट के भरोसे चालान की प्रक्रिया की जा रही है। जबकि, जनपद में रोजाना हजारों वाहन स्वामी ट्रैफिक रूल ब्रेक कर रहे हैं। इन लोगों को ना तो अपनी जान की परवाह है और ना ही दूसरों की।जबकि इन लोगों को ट्रैफिक रूल्स का पाठ पढ़ने वाले लोग भी शायद गहरी नींद में सोए हुए हैं। और अगर ऐसे ही ट्रैफिक विभाग अपनी ड्यूटी में लापरवाही बरसता हुआ दिखाई दिया तो यह दृश्य किसी बड़े हादसे का सबक बन सकता है।

हाल ये है कि दुपहिया वाहन पर तीन तो छोड़िए चार से पांच सवारी तक सफर कर रही हैं। न ही इनके सिर पर हेलमेट होता है। यही नहीं कार आदि के भी कोई नियम पालन नहीं हो रहे हैं। पुराने वाहन धड़ल्ले से सड़कों पर घूम रहे हैं। ओवर स्पीड़ और लाल बत्ती का उल्लंघन खुले आम हो रहा है।

 

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