- सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए मामले में दिया फैसला।
एजेंसी, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए से जुड़े एक मामले में अहम फैसला दिया है। अदालत ने कहा कि पीएमएलए में भी लोक सेवकों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार की परमिशन लेनी होगी। सीआरपीसी की धारा 197 पीएमएलए में भी ये आदेश लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी से जुड़े आय से अधिक संपत्ति के मामले में पूर्व आईएएस अधिकारी बिभु प्रसाद आचार्य की राहत बरकरार रखी है। अदालत ने 2016 के मनी लॉन्ड्रिंग मामले को रद्द करने का फैसला भी बरकरार रखा है।
सीआरपीसी की धारा-197 (1) के तहत प्रावधान है कि सरकारी कर्मी के खिलाफ केस चलाने के लिए सरकार के संबंधित अथॉरिटी से मंजूरी लेनी होती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा पीएमएलए का यह प्रावधान पीएमएलए केस में भी लागू होता है। जस्टिस अभय एस ओक और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने ये फैसला दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि आचार्य (जो एक सरकारी कर्मचारी थे) के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार से कोई मंजूरी नहीं ली गई थी।
बिभु प्रसाद आचार्य के खिलाफ आरोपों में भूमि आवंटन में आधिकारिक पद का दुरुपयोग, संपत्तियों का कम मूल्यांकन और अनधिकृत रियायतें शामिल थीं. आरोप है कि इससे कथित तौर पर आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी से जुड़ी निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा, जबकि सरकार को काफी वित्तीय नुकसान हुआ. बिभु प्रसाद आचार्य के खिलाफ आरोपों में भूमि आवंटन में आधिकारिक पद का दुरुपयोग, संपत्तियों का कम मूल्यांकन और अनधिकृत रियायतें शामिल थीं। आरोप है कि इससे कथित तौर पर आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी से जुड़ी निजी कंपनियों को फायदा पहुंचा, जबकि सरकार को काफी वित्तीय नुकसान हुआ। अदालत ने बताया कि अन्य सभी कार्यवाहियों में पीएमएलए की धारा 44 (1) (बी) के तहत शिकायत शामिल है। हमने पीएमएलए के प्रावधानों का ध्यानपूर्वक अध्ययन किया है।