- मेडिकल, जिला अस्पताल, महिला अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों पर 103 चिकित्सक मानकों से कम।
कपिल सोनी, मेरठ। भले ही सरकार शहरवासियों को सस्ता और सुलभ इलाज मुहैया कराने के लाख दावे करती हो, लेकिन आज भी शहरवासियों को इलाज कराने के लिए निजी चिकित्सकों की शरण में जाना ही पड़ता है। क्योंकि, आज भी मेरठ के सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की भारी कमी है। हालांकि, सरकारी अस्पतालों के प्रबंधनकर्ता हर बार सरकार से इन चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए सरकार से पत्राचार करने की बात कहते हुए सुनाई देते हैं, लेकिन, हकीकत यह है कि, काफी समय बीत जाने के बावजूद इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया।
मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, महिला अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों पर 103 चिकित्सक मानकों से कम हैं। जबकि इन स्थानों पर हर साल इलाज के लिए 25 लाख से ज्यादा मरीज आते हैं। जबकि, बात करें सीएचसी और पीएचसी की तो यहां पर भी चिकित्सकों की कमी मरीजों को महसूस हो रही है। यहां बीस चिकित्सकों की कमी है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के अंतर्गत 12 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 32 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और 26 अर्बन हेल्थ सेंटर आते हैं। यहां 20 चिकित्सक मानकों से कम हैं।
सीएचसी-पीएचसी और अर्बन हेल्थ सेंटर आदि पर 182 चिकित्सक होने चाहिए, लेकिन 162 हैं। इनमें अधिकांश जगह सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टर हैं, विशेषज्ञ नहीं। 12 सर्जन होने चाहिए, मगर है सिर्फ एक। इसी तरह फिजिशियन और रेडियोलॉजिस्ट भी 12-12 होने चाहिए, लेकिन एक भी नहीं है। गायनिक 15 होनी चाहिए, लेकिन हैं सिर्फ चार।
जिला अस्पताल में डॉक्टरों के 54 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 29 चिकित्सक ही कार्यरत हैं। 25 चिकित्सकों की कमी है। इनमें एक सर्जरी (शल्य), दो बेहोशी (निश्चेतक), दो रेडियोलॉजिस्ट, दो अस्थि रोग विशेषज्ञ, दो टीबी एवं चेस्ट रोग विशेषज्ञ, एक-एक नाक-कान गला रोग (ईएनटी), दंत रोग विशेषज्ञ, यूरोलोजिस्ट, न्यूरो सर्जन, न्यूरो फिजिशियन, हृदय रोग, नेफ्रोलॉजिस्ट (किडनी रोग विशेषज्ञ), ब्लड बैंक व आईसीयू के लिए 9 चिकित्साधिकारियों के पद रिक्त चल रहे हैं।
वहीं, मेडिकल कॉलेज में 44 चिकित्सकों की कमी है। मेडिकल कॉलेज में 44 चिकित्सकों व शिक्षकों की कमी है। फामेर्सी में एक सहायक आचार्य (असिस्टेंट प्रोफेसर) का पद खाली है। मेडिसिन में आचार्य (प्रोफेसर), सह आचार्य (एसोसिएट प्रोफेसर) और सहायक आचार्य का एक-एक पद, रेडियोथेरेपी में रेडियोलॉजिस्ट, सह आचार्य और सहायक आचार्य के एक-एक, रेडियोडायग्नोसिस में सह आचार्य और सहायक आचार्य को दो-दो पद खाली हैं।
इसके साथ ही एनेस्थीसिया (बेहोशी) आचार्य, सह आचार्य और सहायक आचार्य के एक-एक पद, ह्यूमन मेटाबोल्जिम में सह आचार्य और सहायक आचार्य के एक-एक पद, ईएनटी में आचार्य, सहायक आचार्य का एक-एक पद और गायनोकोलोजी में सह आचार्य का एक पद खाली है। फामार्कोलोजी के सहायक आचार्य के दो पद, फोरेंसिक मेडिसिन में एक पद, कम्यूनिटी मेडिसिन के दो पद, सामान्य मेडिसिन के पांच पद खाली हैं। न्यूरोलॉजी में सहायक आचार्य का एक पद, टीबी एंड चेस्ट में आचार्य और सहायक आचार्य एक-एक पद, मानसिक रोग विशेषज्ञ के दो पद, बच्चा रोग विशेषज्ञ के छह पद खाली चल रहे हैं। एनाटोमी (मानव संरचना) और माइक्रोबायोलॉजी में दो पद, फिजियोलोजी, बायोकेमिस्ट्री में एक-एक पद खाली चल रहे हैं।
महिला अस्पताल में 14 स्त्री रोग विशेषज्ञों की कमी
महिला जिला अस्पताल में जहां हर माह एक हजार से ज्यादा डिलिवरी होती हैं, वहां स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सकों का अभाव है। यहां 24 महिला चिकित्सक होनी चाहिए, लेकिन सिर्फ 10 हैं। जबकि, जिला अस्पताल में 25 चिकित्सक कम है।
मेडिकल में चिकित्सकों की संख्या बढ़नी चाहिए। शासन से इसके लिए पत्राचार चल रहा है। संविदा पर कुछ चिकित्सक रखे भी गए हैं। उम्मीद है कि जल्द ही इस समस्या का समाधान होगा। – डॉ आरसी गुप्ता, प्राचार्य, मेडिकल कॉलेज
यह सही बात है कि डॉक्टरों की स्वास्थ्य विभाग में कमी है। बेहतर चिकित्सा व्यवस्था के लिए यह कमी दूर होनी जरूरी है। जिसके लिए शासन से मांग की जाएगी। – डॉ अखिलेश मोहन, सीएमओ