मेरठ। जहां भाजपा सरकार भ्रष्टाचार मुक्त भारत का संदेश देती है तो वहीं, सरकारी विभाग के कर्मचारी लगातार रिश्वतखोरी करके सरकार के इस संदेश को बेनामी साबित करता दिखाई देते हैं। कभी नगर निगम, कभी आरटीओ विभाग, कभी मेरठ विकास प्राधिकरण तो कभी थानों में खुलेआम रिश्वत मांगी जाती है। जबकि, लोगों को अपना काम कराने के लिए रिश्वत देने भी पड़ती है। लेकिन शुक्रवार को ऐसे ही एक रिश्वतखोर को विजिलेंस की टीम ने दबोच लिया। जब वह काम करने के नाम पर हजारों रुपए की रिश्वत मांग रहा था।
विजिलेंस की टीम ने कलेक्ट्रेट के चकबंदी विभाग में अधिकारी के पेशकार धर्मदेव को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगेहाथों दबोच लिया। जिसके बाद विजिलेंस की टीम उसे सिविल लाइन थाने ले आई। विजिलेंस की एसपी इंदु सिद्धार्थ ने बताया कि सतर्कता अधिष्ठान मेरठ सेक्टर को शिकायत मिली थी। चकबंदी अधिकारी के पेशकार किसी मुकदमे के संबंध में रिश्वत मांग रहे हैं। शिकायतकर्ता की शिकायत की जांच की गई। मुकदमे से जुड़े डॉक्यूमेंट्स को चैक किया गया। पूरी शिकायत की जांच होने के बाद शुक्रवार को ट्रैप की कार्यवाही की गई। जिसमें चकबंदी अधिकारी के पेशकार धर्मदेव को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ मौके से दबोच लिया गया। उन्होंने बताया कि, पेशकार धर्मदेव ने पीड़ित से 3 साल पुराने मुकदमे को पक्ष में करने की एवज में 20 हजार रूपए मांगे थे।
पीड़ित ने इसकी शिकायत कर दी थी। शिकायत के आधार पर शुक्रवार को टीम ने जाल बिछाया। पूरे प्लान के साथ पेशकार को रंगे हाथों पकड़कर अरेस्ट कर लिया गया। आरोपी पेशकार को टीम सिविल लाइन थाना लेकर गई है, जहां उस पर मुकदमा लिखा जा रहा है।