शारदा रिपोर्टर मेरठ। शहर के डेली वेस्ट को एकत्र करने के लिए नगर निगम द्वारा शहर में सार्वजनिक स्थलों पर लगाए गए डस्टबिन पर पिछले पांच साल में नगर निगम ने करोडों रुपए का बजट फूंक दिया। लेकिन, आज भी शहर के अधिकांश इलाकों में जगह जगह कूड़ा फिर भी बीमारियों को न्यौता देता दिखाई दे रहा है।
आलम, यह है कि, शहर में जगह जगह कूड़ेदान या तो ओवर फ्लो हैं या खुद कूड़े में तब्दील हो चुके हैं। वहीं, अधिकतर जगहों से तो डस्टबिन ही गायब तक हो चुके हैं। जिस पर आजतक नगर निगम के किसी भी अधिकारी का ध्यान ही नहीं गया। जिसको देखकर कहा जा सकता है कि, कुल मिलाकर करोड़ो रुपए से खरीदे गए यह डस्टबिन स्वच्छता के संदेश को मुंह चिढ़ाते दिखाई दे रहे है।
नगर निगम ने बोर्ड बैठक के बाद साल 2018 से 2022 तक डस्टबिन पर सवा करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए थे। इसके तहत साल 2018 में 60 लाख रुपए की लागत से 1500 नीले हरे प्लास्टिक डस्टबिन लगाए गए थे। इसके बाद 2019 में 35 लाख रुपए की लागत से करीब 500 स्टील के डयूल डस्टबिन लगाए गए थे।
जिसमें शहर की जनता गीला और सूखा कूड़ा रख सकें। वहीं, साल 2021 में 52 सौ रुपए प्रति डस्टबिन यानि करीब पचास लाख रुपए के डस्टबिन लगाए गए थे। इसके बाद साल 2022 में मेडिकल वेस्ट के ब्लैक डस्टबिन समेत 109 तीन सेट वाले डस्टबिन लगवाये गये। इन पर 21 लाख रुपए करीब खर्च किया गया था।
इसके अलावा 1100 लीटर क्षमता वाले लोहे के डस्टबिन पर 86 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए गए। लेकिन, वह डस्टबिन लगने के एक साल के अंदर ही अधिकतर जगहों से गायब हो गये या फिर खुद कूड़े में बदल गए।
जगह जगह कूड़े के ढ़ेर: बात करें अगर शहर में अस्थाई कूड़ा स्थल की संख्या की तो वह 146 से अधिक है। जिनको खत्म करने का दावा निगम द्वारा किया जाता रहा है लेकिन ये कूड़ा स्थल अभी तक बने हुए हैं। हालांकि, विलोपित कूड़ा स्थलों की संख्या भले ही शहर में लगातार बढ़ती जा रही है, लेकिन डस्टबिन की व्यवस्था सफल नही हो पा रही है।