बसपा को बड़ा झटका: रालोद में फिर शामिल हुए सांसद मलूक नागर

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शारदा रिपोर्टर

मेरठ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी को बड़ा झटका लगा है। यहां बसपा सांसद मलूक नागर ने पार्टी का साथ छोड़ राष्ट्रीय लोकदल का दामन थाम लिया है। वह गुरुवार को जयंत चौधरी के आवास पर पहंचे और पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।

बसपा सांसद मलूक नागर करीब 18 साल बसपा में रहे। 2004 में मलूक नागर ने मेरठ लोकसभा सीट का चुनाव रालोद के चुनाव चिन्ह पर लड़ा था। लेकिन यह चुनाव वह बसपा के शाहिद अखलाक से हार गए थे। इसके करीब दो साल बाद उन्होंने परिवार सहित रालोद छोड़कर सपा की सदस्यता ग्रहण की। 2007 के विधानसभा चुनाव में उनके बड़े भाई लखीराम नागर खरखौदा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और जीतकर बसपा सरकार में मंत्री बने। वहीं मलूक नागर ने 2009 और 2014 का चुनाव बसपा में रहते हुए लड़ा, लेकिन हार गए।

लगातार हार के बाद भी बसपा सुप्रीमों उन्हें प्रत्याशी बनाती रही। मलूक नागर को बसपा ने 2019 में फिर से बिजनौर का प्रत्याशी बनाया और वह सांसद निर्वाचित हुए। लेकिन केंद्र में सरकार न होने और बसपा सुप्रीमों के लगातार निष्क्रिय होने के कारण मलूक नागर का मोह बसपा से भंग होना शुरू हो गया था।

लोकसभा में भी वह संसद की कार्रवाई के दौरान जिस अंदाज में बोलते थे, उससे नजर आने लगा था कि उनका बसपा से मोह भंग होने लगा है। लेकिन बिजनौर से बसपा सासंद मलूक नागर ने किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी चरण सिंह और किसान नेता रहे महेंद्र सिंह टिकैत को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठाई थी। इनके अलावा उन्होंने कहा कि बहुजन महानायक कांशी राम, स्वतंत्रता सेनानी विजय पथिक और कांग्रेस नेता राजेश पायलट को भी भारत रत्न दिया जाए। पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने यह भी कहा था कि रालोद जिसकी साथ चली जाएगी वह जीत जाएगा।

 

वहीं जयंत चौधरी के एनडीए में जाने के बाद और चौधरी साहब को भारत रत्न दिए जाने के बाद वह जयंत चौधरी को मुबारकबाद देने भी गए थे। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि वह रालोद में शामिल हो सकते हैं। गुरूवार को मलूक नागर अपने बड़े भाई, लखीराम नागर, पत्नी सुधा नागर सहित रालोद में शामिल हो गए।

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