– गृहकर विभाग के दो कर्मचारियों को एंटी करप्शन टीम ने दबोचा था
– दूसरे दिन मंगलवार को सूना नज़र आया गृहकर विभाग कार्यालय
– जांच में अन्य कर्मचारियों का नाम भी सामने आनें की चर्चा
– सीट से गायब हो गए एक दर्जन दूसरे कर्मचारी
प्रेमशंकर
मेरठ। नगर निगम में भ्रष्टाचार की जड़े इस हद तक गहरा चुकी है कि यहां पैसा देकर कोई भी अवैध कार्य आसानी से कराया जा सकता है। यह कहानी निगम के किसी एक विभाग की नहीं है अपितु कोई विभाग इससे बचा नहीं है। सोमवार की घटना ने निगम में फैले भ्रष्टाचार की पोल खोलकर रख दी है लेकिन क्या कभी इसपर अंकुश लगेगा यह बड़ा सवाल है। वहीं एंटी करप्शन विभाग की टीम की कार्रवाई के बाद दूसरे दिन यानी मंगलवार को निगम का गृहकर विभाग सूनसान नज़र आया।
मंगलवार को नगर निगम के गृहकर विभाग कार्यालय में वह सभी कुर्सियां खाली पड़ी नज़र आई जहां एक दिन पहले ही काफी लोग अपने काम में जुटे थे। जिस टेबल पर बैठकर सोमवार को लिपिक दीपक सतवई व चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी राहुल गौतम ने डेढ़ लाख रूपये की रिश्वत ली थी आज मंगलवार को वह टेबल सूनी रही। हालांकि यहां इन दोनों कर्मचारियों के अलावा भी आधादर्जन कर्मी और है लेकिन वह भी मंगलवार को अपनी सीट से नदारत मिले। इतना ही नहीं चंद कदमों की दूरी पर स्थित मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अवधेश कुमार का भी कार्यालय है लेकिन वह भी सूना नजर आया।
– पकड़े गए दो, दहशत दर्जनों में
नगर निगम में रिश्वत का खेल कोई नया नहीं है, अक्सर यहां इस तहर के मामले सामने आते रहते है जिनमें रिश्वतखोरी का खुलासा होता रहा है। कमाल की बात तो यह है कि निगम के गृहकर विभाग में जो रिश्वत का खेल चलता है वह किसी ऐसे काम के लिए नहीं ली जाती जिससे निगम को लाभ हो, बल्कि ऐसे कार्य के लिए ली जाती है जिससे निगम को ही चूना लगता है। सोमवार को केवल दो कर्मचारी ही रिश्वतखोरी के मामले में धरे गए है लेकिन उन दोनों के अलावा मंगलवार को बाकि कर्मचारी कहां गए यह इसका पता नहीं चल सका। चर्चा है कि इस तरह कर्मचारियों के गायब होनें की वजह वह डर है जिसमें अन्य कर्मचारियों का नाम भी भ्रष्टाचार में सामने आ सकता है।
– तीन जोन में सबसे मलाइदार है जोन मुख्यालय
नगर निगम के नब्बे वार्डो से गृहकर वसूली के लिए तीन जोन बनाए गए है। इनमें कंकरखेड़ा, शास्त्रीनगर व मुख्यालय जोन है। जबकि निगम के मुख्य गृहकर अधिकारी अवधेश कुमार है जो तीनों जोनों की मॉनिटरिंग करते है। बताया जा रहा है निगम के तीनों गृहकर जोनों में से मुख्यालय जोन सबसे ज्यादा मलाइदार जोन है। इस जोन में पिछले लंबे समय से कर्मचारियों का पटल परिवर्तन नहीं हुआ है। चर्चा तो यहां तक है कि यदि किसी का तबादला दूसरे पटल पर होता है तो वह यहां से जाना नहीं चाहता। मोटा सुविधाशुल्क देकर वह इसी पटल पर रहता है।
– कैसे पूरा होगा वित्तीय वर्ष का लक्ष्य
नगर निगम के अधिकारियों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष के अंत में शासन स्तर से दिया गया लक्ष्य पूरा करना होता है। लेकिन जिस तरह गृहकर विभाग में रिश्वतखोरी का मामला सामने आया है उससे इस वर्ष लक्ष्य कैसे पूरा होगा इसको लेकर सवाल उठने लगे है। एंटी करप्शन टीम की कार्रवाई के अगले दिन ही जो हालात गृहकर विभाग में नज़र आए वह इस संभावना को और मजबूत करते है कि कहीं न कहीं निगम के अधिकारियों के सामने लक्ष्य पूरा करने की चुनौती रहेगी।
नगर निगम में फैले भ्रष्टाचार पर रोक कैसे लगेगी यह तो कहना मुश्किल है लेकिन यदि जिम्मेदार अधिकारियों की नीयत में कुछ सुधार हो जाए तो संभव है कुछ हद तक इसपर अंकुश जरूर लग सकता है।