मेरठ। हापुड़ रोड स्थित शाहपीर गेट मदरसा जामिया अरबिया नुरूल इस्लाम में रविवार को सालाना जलसे और दस्तारबंदी समारोह का आयोजन किया गया। जलसे में हाफिज-ए-कुरआन बने 49 बच्चों की दस्तारबंदी की गई और उन्हें सनद देकर सम्मानित किया गया। उलेमा ने तकरीर की और कहा कि बच्चों को दीन के साथ दुनियावी तालीम भी दिलाए। साथ ही उन्होंने संदेश दिया कि शिक्षा ही समाज को तरक्की के रास्ते पर ले जाती है।
जलसे की अध्यक्षता मदरसे के मोहतमिम मुफ्ती सैय्यद अहमद कासमी ने की। उन्होंने जलसे में मदरसे की सालाना रिपोर्ट भी पेश की। साथ ही अतिथियों का शुक्रिया अदा किया। जलसे का आगाज दारुल उलूम वफ्फ देवबंद के उस्ताद कारी मोहम्मद वासिफ द्वारा की गई तिलावत कुरआन-ए-पाक से हुआ। जलसे में सबसे पहले दारुल उलूम वफ्फ देवबंद के उस्ताद मुफ्ती मोहम्मद आरिफ ने खिताब किया। उन्होंने कहा कि आज सबसे बड़ी जरूरत तालीम को आम किए जाने की है। हर बच्चे को तालीम एवं तहजीब के जेवर से सजाया जाए। दारूल उलम देवबंद उस्ताद हदीस हजरत मौलाना फरीदुद्दीन ने मुआशरे में फैली खुराफात एवं बिदआत से बचने की तलकीन की। खासतौर पर शादी- ब्याह के मौके पर जो इंसानियत सोज हरकतें हो रही हैं जैसे वीडियोग्राफी, बारात का चढ़ाना, खड़े होकर खाना खिलाना सब गैर इस्लामी है। इन तमाम रस्मों को छोड़ने की अपील की। समारोह के अंत में मुल्क में अमनो-अमान एवं आपसी भाईचारा-सौहार्द्र कायम रहे, इसके लिए दुआ कराई गई। जलसे में शैखुल हदीस मजाहिर उलूम वक्फ सहारनपुर हजरत मौलाना इस्लामुल हक ने हाफिज ए कुरआन बने 49 बच्चों को पगड़ी बांधी एवं सनद देकर सम्मानित किया।
मौलाना नसीम अहमद, मौलाना मसरूर अहमद, मुफ्ती मोहम्मद आसिफ, मौलाना शमीम अहमद, कारी अब्दुल क्य्यूम, कारी मोहम्मद अहमद, मुफ्ती मोहम्मद हसन, हाजी सिराजुल नबी, हाजी मोहम्मद मुश्ताक, हाजी नईम अय्या, पूर्व पार्षद हिफ्जुर्रहमान, हाजी इमरान रहे।