Thursday, October 16, 2025
Homeउत्तर प्रदेशMeerutआयकर नियमावली में संशोधन का हैंडलूम व्यापारियों ने जताया विरोध

आयकर नियमावली में संशोधन का हैंडलूम व्यापारियों ने जताया विरोध

– कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन करते हुए वित्तमंत्री के नाम ज्ञापन डीएम को सौंपा


शारदा रिपोर्टर

मेरठ। सरकार द्वारा मध्यम एवं लघु उद्योग को प्रोत्साहन देने के लिए 15/45 दिन में पेमेंट देने के लिए इनकम टैक्स एक्ट की धारा 43 वी में संशोधन किया गया हैं। लेकिन इस धारा में संशोधन के चलते सभी व्यापारियों को फायदा मिलने के बजाए केवल नुकसान ही मिल रहा है। जिसके विरोध में हैंडलूम वस्त्र व्यापारी संघ ने कलक्ट्रेट पर प्रदर्शन करते हुए वित्तमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।

 

संघ के प्रधान अंकुर गोयल और महामंत्री गुरदीप सिंह कालरा के नेतृत्व में पहुंचे व्यापारियों ने सौंपे गए ज्ञापन में कहा कि पेमेंट की धारा को 90 से 120 दिन किया जाए, इस कानून को एक अप्रैल 2024 से लागू किया जाए और सभी व्यापारियों पर मैन्युफैक्चरर / ट्रेडर सभी पर समान रूप से लागू हो।

 

इससे पूर्व प्रधान अंकुर गोयल ने बताया कि कोई भी व्यापारी पूरे साल कितना भी लेट पेमेंट करे, क्योंकि वह खरीदे गए माल / ली गई सर्विस का भुगतान उसी वित्त वर्ष में कर देता है, तो नियमों के तहत कोई पैनल्टी नहीं बनती। अत: कोई भी फायदा एमएसएमई सप्लायर को नहीं मिला।

 

उन्होंने कहा कि इस नियम के चलते सभी व्यापारियो की बिक्री अत्यधिक प्रभावित हो गई है क्योंकि कोई भी उधार लेने वाला व्यापारी दिसंबर माह से माल नहीं खरीद रहा है बल्कि वह लगातार माल को वापस कर 31 मार्च का बैलेंस शून्य करने का प्रयास कर रहा है।

 

अंकुर गोयल ने कहा कि यदि व्यापारी 31 मार्च तक पुराने पेमेंट करने में असमर्थ हो जाता है तो उसको पेनल्टी या टैक्स के रूप में जमा करने के लिए अतिरिक धन की आवश्यकता पड़ती है। जो पेमेंट वह व्यापारी को करना चाहता था वह पेमेंट सरकार को टैक्स के रूप में देना पड़ेगा। जिससे कि उसे व्यापारी का पेमेंट और लेट हो जाएगा।

महामंत्री गुरदीप सिंह कालरा ने कहा कि कोई भी ग्राहक एमएसएमई रजिस्टर्ड व्यापारी से माल लेने के लिए पेमेंट की बाध्यता को देखते हुए तैयार नहीं होगा। जिससे कि उसकी सेल काफी प्रभावित हो जाएगी। कोई भी व्यापार, व्यापार प्रतिस्पर्धा व हित्तो को ध्यान में रखकर दो व्यापारियों के समझौते से चलता है जिसमें उधार की समय सीमा को तय करने का व्यापारी का मौलिक अधिकार हैं ना की सरकार का।

 

उन्होंने कहा कि इनकम टैक्स में इस नियम के तहत किसी भी खर्च का समायोजन उसके दिए गए पेमेंट के वित्तीय वर्ष में होगा जबकि वास्तविक खर्च सेवा या माल के आने के वितीय वर्ष में होगा जिसकी वजह से व्यापारी की वास्तविक आय उस वर्ष में नहीं दिखाई देगी और अधिक टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा।

 

कालरा ने कहा कि जीएसटी टीडीएस टीसीएस आदि नियमों के चलते एक नए नियम का और जुड़ जाना व्यापारी के लिए एकाउंटिंग प्रक्रिया को बहुत जटिल बना रहा है व्यापारी व्यापार का ध्यान छोड़कर सिर्फ अकाउंट में ही पूरा समय दे रहा है इससे उसके व्यापार में बहुत ज्यादा हानि हो रही हैं। व्यापारी का बहुत ज्यादा पैसा अकाउंट को मेंटेन करने व उनके वकील की फीस में चला जाता है।

 

उन्होंने कहा कि व्यापारी की बिक्री प्रभावित होने के कारण उसकी आय घटेगी, जिसके चलते उसको अपने खर्च कम करने के लिए अपने स्टाफ को कम करना पड़ेगा जिस कारण बेरोजगारी बढ़ेगी।
व्यापारियों ने ज्ञापन में सरकान से अनुरोध किया व्यापार हितों को ध्यान में रखते हुए एकाउंटिंग व टैक्स प्रणाली को सरल बनाए व तुगलकी कानून को लागू करने से पूर्व उसकी पूर्ण समीक्षा करनी चाहिये और अनावश्यक नियमों को कम करें ताकि सभी व्यापारी अपने व्यापार को सुगमता से चला सके।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Recent Comments