मेरठ। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म दिवस पर प्यारे लाल शर्मा स्मारक भवन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से नेताजी से जुड़ी स्मृतियों को ताजा किया। मंच पर राम मंदिर से जुड़ी कविताएं पढ़ी गई तो पूरा माहौल देशप्रेम और भक्ति की भावना से ओतप्रोत हो गया।
ललितपुर के पंकज पंडित ने सुभाष चंद्र बोस पर कविता पढ़कर माहौल में जोश भर दिया। उन्होंने सुनाया, ‘अमर जवानियों को भूल न सकेगा देश, मौत को गले लगातीं आयीं जो जवानियां। देश का स्वरुप हमें लगता अनूप यदि, नेताजी के हाथ होतीं देश की कमानियां’। कवि सुमनेश सुमन ने गुलामी के देश और देश की आजादी में नेताजी के योगदान को कुछ इस तरह याद किया… सदियों की घोर गुलामी से परेशान था, गोरों की कपट नीति से बड़ा हैरान था, दिल्ली चलो बोल कर जाने कहां खो गया, देश के लिए सुभाष तू तो वरदान था, दिल्ली तेरा रास्ता निहारती रही, तेरी भारत मां तुझे पुकारती रही। लखनऊ से आए अभय निर्भीक ने सुनाया, भारत माता का हरगिज अम्मान नहीं खोने देंगे, अपने पूज्य तिरंगे का अपमान नहीं होने देंगे।
श्रीकांत ने देश प्रेम से जुड़ी कविता सुनाई। उन्होंने सुनाया, मैं कर रहा हूं देश के इतिहास को नमन, जिनसे मिली है प्रेरणा प्रकाश को नमन। जो प्राणों को ले हाथ में थे अंत तक लड़े, मां भारती के लाडले सुभाष को नमन।
कवि सुदीप भोला ने, ना केवल मंदिर के निर्माण, ना केवल पूजा विधि विधान, ना केवल भक्तों के भगवान, ये होगा उन सब का सम्मान, योग में देह दे गये दान, शिला में समा गये जो प्राण, ये सूचित हो इतिहासों को, बिछाकर कर अपनी लाशों को, समय की कड़ी कसौटी पर खरी उत्तरी जो निष्ठा है, राम के नाम लुटा गये प्राण ये उनकी प्राण प्रतिष्ठा है, पंक्तियां सुनाई तो माहौल भक्तिमय हो गया। इसके बाद उन्होंने राम विरोधियों पर कटाक्ष करती हुई कविता पढ़ी।
उन्होंने सुनाया… बन गया मंदिर परमानेंट, वहीं बना है जहां तना था राम लला का टेंट, रामविरोधी जितने नेता हैं मेंटल पेशेंट, ट्रीटमेंट होगा चौबिस में देकर उन्हें करेंट। संचालन पंकज पंडित ललितपुर ने किया। कार्यक्रम में देश के विभिन्न स्थानों से आए कवियों ने शानदार काव्य पाठ कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया।