बाहरी प्रत्याशी थोपा तो भाजपा को पड़ सकती है मुश्किल !

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– लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर प्रत्याशी बदलने के कयास हुए तेज
– मेरठ, गाजियाबाद, बागपत और बिजनौर में प्रत्याशी बदलने की चर्चा


अनुज मित्तल (समाचार संपादक) |

मेरठ। लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर यूपी की सीटों पर मंथन चल रहा है। पार्टी नेतृत्व अपने चहेते वरिष्ठ नेताओं को ऐसी सुरक्षित सीटों से चुनाव लड़ाना चाहता हैं, जहां पर जीत सुनिश्चित हो सके। लेकिन पार्टी का यह आत्मविश्वास उसके लिए घातक हो सकता है। क्योंकि स्थानीय पर बाहरी को वरियता देना भारी पड़ सकता है।

मेरठ लोकसभा सीट पर वर्तमान में राजेंद्र अग्रवाल सांसद हैं और वह लगातार तीसरी बार सांसद निर्वाचित हुए हैं। हालांकि पिछला चुनाव वह बहुत ही कम अंतर से जीते थे, ऐसे में साफ है कि इस बार भाजपा के लिए यह सीट आसान नहीं होगी। लेकिन पार्टी नेतृत्व इस सीट को पूरी तरह भाजपा की सुरक्षित सीट मानकर चल रहा है। ऐसे में चर्चा है कि यहां से पीयूष गोयल या डा. अनिल जैन को चुनाव लड़ाया जा सकता है। जबकि स्थानीय स्तर पर कई वैश्य बिरादरी के कद्दावर नेता यहां से चुनाव लड़ने की कवायद में जुटे हैं। यदि यहां पर स्थानीय के ऊपर बाहरी को वरियता दी जाती है तो निश्चित रूप से पार्टी से जुड़ा आम मतदाता कहीं न कहीं उदासीन हो सकता है।

 

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| खबर फटाफट : 28 Dec 2023 News Bulletin | Video || Sharda News

 

गाजियाबाद सीट से जनरल वीके सिंह वर्तमान में सांसद हैं। इस सीट पर पार्टी ठाकुर को ही प्रत्याशी बनाएगी, लेकिन इस बार यहां से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा है। मूल रूप से यूपी के मिर्जापुर निवासी अरुण सिंह का गाजियाबाद से कोई सीधे वास्ता नहीं है, बावजूद इसके पार्टी नेतृत्व द्वारा उन्हें यहां से चुनाव लड़ाने की चर्चा तेज है।

बिजनौर सीट पर बसपा का कब्जा है और यहां मूलक नागर सांसद हैं। हालांकि भाजपा वर्ष 2014 में यहां से जीत चुकी है तो वर्ष 2009 में रालोद से हुए गठबंधन में यह सीट रालोद प्रत्याशी संजय चौहान ने जीती थी। गुर्जर बिरादरी के लिए माकूल मानी जाने वाली इस सीट पर हालांकि जाट बिरादरी के कुंवर भारतेंद्र सिंह 2014 में चुनाव जीते थे, लेकिन 2009 में गुर्जर बिरादरी के एकजुट होने के चलते वह चुनाव हार गए थे। इस बार भाजपा यहां किसी दमदार गुर्जर प्रत्याशी को मैदान में उतारने की तैयारी में है, जिसमें सबसे ऊपर नाम अशोक कटारिया का है। अशोक कटारिया इस समय एमएलसी हैं और वर्ष 2019 से 2022 तक वह प्रदेश के राज्य परिवहन मंत्री भी रहे। इसके साथ ही सुरेंद्र नागर को भी यहां से चुनाव लड़ाया जा सकता है, हालांकि उन्हें फरीदाबाद भेजे जाने की ज्यादा चर्चा है।

 

मुजफ्फरनगर में महिला प्रत्याशी की चर्चा

मुजफ्फरनगर सीट पर इस बार महिला को प्रत्याशी बनाने की चर्चा है। इसी की तैयारी के तहत वर्तमान में सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री डा. संजीव बालियान ने अपनी पत्नी को वीआरएस भी दिला दिया है। ताकि यदि सीट महिला कोटे में जाती है, तो वह अपनी पत्नी को प्रत्याशी बनवाने के लिए बिना किसी रूकावट के ठोस पैरवी कर सके। हालांकि यहां से सरधना से पूर्व विधायक ठा. संगीत सोम भी इस बार मजबूत दावेदारी कर रहे हैं। यदि महिला सीट होती है तो वह अपनी पत्नी की दावेदारी पेश करेंगे।

 

बागपत से हो सकता है स्थानीय प्रत्याशी

बागपत से किसी जाट का चुनाव लड़ना तय है यहां से मुंबई पुलिस के सेवानिवृत्त कमिश्नर डा. सतपाल सिंह वर्तमान में सांसद हैं। लेकिन वह स्थानीय नहीं है। ऐसे में इस बार यहां से बागपत विधायक योगेश धामा का नाम सबसे ज्यादा चर्चाओं में है, हालांकि बड़ौत विधायक कृष्णपाल मलिक को लेकर भी चर्चा है। क्योंकि स्थानीय स्तर पर अब डा. सतपाल सिंह का रिपोर्ट कार्ड मजबूत नहीं है।

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